सामंजस्यपूर्ण जीवन और परिवार बनाये रखने के लिए, हर व्यक्ति को असीम सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है जो कभी ख़तम नो हो और इस प्रयास में वास्तु आपकी सहायता करने के लिए घर में ही समाधान का निर्माण करता है। वास्तु शास्त्र एक भारतीय वैदिक प्रणाली है जो निर्मित पर्यावरण के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक आदेश को सुनिश्चित करता है।
ऐसा माना जाता है कि शांति, सुख, स्वास्थ्य और धन पाने के लिए, अपने घरों के निर्माण के दौरान वास्तु के दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। वास्तु शास्त्र के नियमो के अनुसार सकारात्मक ब्रह्माण्डीय क्षेत्र बनाकर संरचनाओं करने से घर और उसमे रहने वाले लोग रोगों, अवसाद और आपदाओं से सुरक्षित रहेंगे। वास्तु शास्त्र की सरल युक्तियों का पालन करने से जीवन शैली में उल्लेखनीय सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे जो इसे प्रगतिशील बनाने में सहायता देगा।
आजकल वास्तुकला और भीतरी सअजजा के क्षेत्र में दुनिया भर में, 'वास्तु' शब्द का अर्थ 'आवास' है। इसलिए, यदि आप एक घर के मालिक हैं जो नकारात्मक शक्तियों पर प्रतिबन्ध्क लगा कर घर में सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करना चाहते हैं, तो इन वास्तू युक्तियां की सूची को ज़रूर अपनाये।
प्रवेश द्वार को आकर्षक और स्वागतमय बनाये रखना वास्तु शास्त्र के प्रमुख मान्यताओं में से एक है क्योंकि इसी स्थान से घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश और गमन होता है। मुख्य प्रवेश द्वार का दरवाज़ा घर का सबसे बड़ा और प्रभावशाली होना चाहिए जो अधिकतम निशयात्मक प्रवाह की अनुमति देता हो। घर के मुख्य प्रवेश द्वार को पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होनी चाहिए ताकि सूर्य की उज्जवल किरणे सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश से घर को शुद्ध कर दे।
वास्तु के नियमों के अनुसार उजागर बीम परिवार के सदस्यों पर एक निराशाजनक प्रभाव छोड़ देते हैं, जो असहमति और तर्कों को नेतृत्व करने वाले वातावरण को जनम देते है। यदि आपको उजागर बीम को निकालना मुश्किल लगता है, तो उन्हें प्लास्टर से कलात्मक तरीके से ढक दे या उन बीम के नीचे बैठने से बचें।
सुगंधित मोमबत्ती और धूप से हर सुबह-शाम घर के वातावरण को स्वच्छ करने के लिए जलाएं। चाहे तो खुशबूदार जल छिडकाये, मिट्टी के दीपक अँधेरे कोनो में जलाए जो शुद्धिकारक के रूप में कार्य करते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर निकालता है।
सुखद वातावरण को बनाये रखने के लिए घर में हमेशा सुखदायक चित्र ही लगाए जैसे सुन्दर प्राकृतिक दृश्य, खुशहाल लोग या बच्चे,इत्यादि जिसमे कहीं भी दुःख, तकलीफ या क्लेश के दृश्य न हों। अच्छे सकारात्मक चित्र रखने से घर के सदस्य उन्हें प्रवेश करते समय या घर से निकलते वक्त देखते हैं तो मन में खुशी और शांति की भावना पैदा करता है।
अव्यवस्था हमेशा अराजकता का संकेत देता है, और वास्तु शास्त्र के नियमो के अनुसार बिस्तर और उसके पास के बैठक क्षेत्र में ज़ियादा फर्नीचर या सज्जा वस्तुओं का जमघट नहीं लगाना चाहिए। शयनकक्ष वह स्थान है जहां तन और मन को शांति मिलती है इसलिए बिस्तर के नीचे कुछ भी न रखें क्योंकि वे अवचेतन दिमाग को प्रभावित कर नींद के दौरान विघटन का कारण बना सकते हैं। हमेशा बेडरूम साफ रखने की कोशिश करें, जिससे शांतिपूर्ण नींद के लिए इष्टतम जगह बने।
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण-पूर्व कोने में रसोई की रचना हो तो खाद्य पदार्थ की कभी कमी नहीं होती । यदि इस दिशा में रसोईघर बनाना संभव नहीं है, तो उत्तर-पश्चिमी कोने दूसरा सबसे अच्छा विकल्प है जिसे अपनाया जा सकता है। अगर ये दोनों विकल्प आपके लिए कठिन हैं तो सुनिश्चित करें कि आपका गैस स्टोव या खाना पकने का श्रोत, दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा गया है।
घर के अंधेरे,कोनों में, पीतल के बर्तन में पवित्र जल रखें जिसे हर सप्ताह नियमित रूप से बदलें। घर में पवित्र जल रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है और इस तरह के अति सुंदर परम्परिक बरतन में वो जल रखने से पवित्रता के साथ-साथ उस क्षेत्र के सजावट में भी चार चाँद लग जाते हैं।
अगर आप वास्तुशास्त्र में रूचि रखते हैं तो जानकारी के लिए इस विचारपुस्तक को ज़रूर देखें।